February 18, 2012

मैंने देखा एक सियासी सपना


अपूर्व राय

कहते हैं कि सपनों की भी अपनी अलग ही दुनिया होती है. हकीकत में जिन चीज़ों को हम पा नहीं सकते सपनों में उन सबको सहजता से हासिल कर लेना नामुमकिन नहीं. यह बात भी कितनी सच है कि अगर सब कुछ असल ज़िंदगी में मिल ही जाता तो सपने भला आते ही क्यों!
मैंने भी कई तरह के सपने देखे हैं. मेरे सपने कभी मुझे लंदन- अमेरिका की सैर करा लाए तो कभी हसीनाओं के संग अठखेलियां करने के लिए समंदर किनारे भी छोड़ दिया. ये मरे सपने ही हैं जिनमें मुझे अपनी नौकरी में इतना बड़ा प्रोमोशन मिला कि मैं अपने बॉस का बॉस बन गया. सपनों की रंगीन दुनिया के सहारे ही मैं कभी लंबी सी कार में बैठकर फाइव स्टार होटल में डिनर करने गया तो कभी ठीक इसके उलट रेलवे स्टेशन के बाहर चरसियों के बीच रात गुज़ारी.
मैं दूसरों के सपनों के बारे में तो नहीं जानता पर अपने सपनों के बारे में ज़रूर कह सकता हूं कि मुझे कुछ इसी तरह के अजब-गजब सपने आते रहते हैं. शायद इसी लिए कभी व्याकुल हो जाता हूं कि कहीं मुझमें कोई ऐब तो नहीं जो इस तरह के सपने दिखाई देते हैं.
कभी- कभी सोचता हूं तो लगता है कि शायद मैं बहुत संवेदनशील हूं और जो कुछ भी गहराई से महसूस करता हूं, देखता हूं या फिर जो बातें मेरे दिल-दिमाग़ को छू जाती हैं वो सब किसी न किसी रूप में कभी न कभी मेरे सपनों का हिस्सा बन जाती हैं.
हमारे देश में राजनीति और क्रिकेट का बहुत महत्व है. पता नहीं क्यों क्रिकेट कभी बहुत अपील नहीं किया परन्तु राजनीति और नेता मुझे अकसर झकझोरते रहते हैं.


राजनीति के प्रभाव और फैलाव का ही असर है कि कुछ दिन पहले मेरे सपने में एक नेताजी आए. उनके पास कोई सत्ता या राजनीतिक पद तो नहीं था पर राजनीति के गलियारों में उनका कद बहुत ऊंचा था. वो मंत्री तो नहीं थे पर लोगों को मंत्री बनवाने का रुतबा रखते थे.
नेताजी से मेरी मुलाकात दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई. मुझे दफ्तर के काम से चेन्नई जाना था और उन्हें भी किसी चुनावी सभा में भाग लेने के लिए. इत्तफाक की बात कि नेताजी के साथ कई टीम-टाम नहीं था और हम दोनों एयरपोर्ट पर अगल-बगल बैठकर फ्लाइट का इंतज़ार कर रहे थे. कुछ ही पलों में न जाने कैसे और क्यों हम एक दूसरे से खुल गए. बातों- बातों में नेताजी ने मेरे बारे में काफी पूछताछ कर डाली, मसलन मेरी नौकरी, तन्ख़्वाह, मेरी आकांक्षाएं, मेरा परिवार आदि. देश, समाज और राजनीति पर भी हमारी काफी बातचीत हुई. जान-पहचान और अपनापन कुछ इतना बढ़ गया कि हमने तय किया कि हम लोग चेन्नई में भी मौका निकालकर मुलाकात करेंगे.
मैं चेन्नई के एक होटल में ठहरा और वह एक सरकारी भवन में. दूसरे दिन सुबह ही नेताजी ने मुझे बुलावा लिया और कुछ ही देर में एक गाड़ी होटल के नीचे आ खड़ी हुई. सफेद रंग की रपारप टाटा सफारी, सीटों पर सफेद कवर और चारों ओर काले शीशे. कार में एक ड्राइवर, एक सिक्योरिटी गार्ड और एक अर्दली. मेरा मन तो गदगद हो गया. इतनी शान से सड़क पर चलूंगा यह तो मेरी कल्पना से भी परे था.
थोड़ी ही देर में मैं नेताजी के पास था. सोचा था सरकारी भवन में रुके हैं, सरकारी किस्म का ही होगा. पर यहां के ठाट-बाट तो मेरे होटल से कहीं अधिक थे. नेताजी एक बड़े से कमरे में कोई बैठक ले रहे थे सो मुझे एक अन्य कमरे में आराम करने के लिए कहा गया. यह कमरा भी कम नहीं था. शानदार-आरामदेह बेड और उसपर सफेद चादर- तकिया-तौलिया और बगल में पढ़ने की मेज़-कुर्सी. दूसरी तरफ बढ़िया सा सोफा सेट था, उसके ठीक सामने दीवार पर एलसीडी टीवी और फर्श पर साफ-सुथरा कालीन. सरकारी चमक-दमक मुझे भा गई.
करीब एक घंटे के बाद नेताजी आए और हमारी बातों का सिलसिला शुरू हुआ. इस बार बातें राजनीति, शासन, समाज और आम आदमी से जुड़ी हुई थीं. थोड़ी ही देर में नेताजी ने कहा कि राजनीति में आओगे! मैं सकपका गया और वह मेरी घबराहट भांप गए. बोले घबराओं नहीं मेरा हाथ तुम्हारे ऊपर रहेगा और तुमको हर जगह वीआईपी ट्रीटमेंट मिलेगा. मन तो ललचाया पर राजनीति मेरी पिछली सात पुश्तों में किसी ने नहीं की थी. उल्टे सभी लोग नेताओं का मज़ाक ही बनाते रहते हैं. तरह-तरह के सवाल मेरे मन में उठने लगे. नेताजी ने कहा घबराओँ मत और हां कर दो, ज़िंदगी संवर जाएगी और आने वाली पुश्तें भी निश्चिंत हो जाएंगी.
मैंने कहा हां तो कर दूं पर कामकाज कैसे करूंगा, मुझे तो इस विधा का दूर-दूर तक ज्ञान नहीं है. नेताजी ने कहा कि राजनिति ही तो वह विधा है जिसके लिए किसी विशिष्ट ज्ञान, शिक्षा या योग्यता का होना ज़रूरी नहीं है. शिक्षित हो, डिग्री होल्डर हो, एक सफल करियर का सपोर्ट भी है. तुम्हें मंत्री बनाने के लिए बस इतना काफी है.
वाह, सपनों में एक नेता ने मुझे मंत्री बनने का सपना दिखा दिया. अब तो मैं सचमुच सपने बुनने लगा. फिर भी मन में शंकाएं थीं. लग रहा था कि राह आसान नहीं है और अगर कहीं नैया डूबी तो राजनीति तो जाएगी ही करियर से भी हाथ धो बैठूंगा.
इसके बाद तो नेताजी ने एक लेक्चर ही पिला दिया. बोले डॉक्टर, इंजीनियर और बड़े-बड़े मैनेजरों को तुमने नेता बनते देखा होगा पर क्या कभी किसी नेता को वापस डॉक्टर, इंजीनियर या मैनेजर बनते सुना है. उन्होंने कहा कि राजनिति नौकरी की तरह सुरक्षित तो नहीं है पर इसमें पैसे और शोहरत की कमी भी नहीं है. मीटिंग, कामकाज और चुनाव के कारण देशाटन करने का भरपूर मौका मिलता है. हवाई जहाज़ का खर्च, रहना-खाना, गाड़ी-बंगला तो देख ही रहे हो, ठसके में कोई कमी लग रही हो तो बताओ? और यह सब मेरे पास तब है जब मैं मंत्री तक नहीं हूं.
नेताजी ने कहा कि चुनावी सभा में लोगों का दिल जीतने के बजाय उनका ब्रेन वॉश करना ही तुम्हारा मकसद होगा. इसके लिए सच का झूठ और झूठ का सच भी कहना पड़े तो घबराना मत, ये सब तो बातें हैं—आज कह दीं, कल भूले. सफलता के लिए सिर्फ अपनी पार्टी और अपने काम का ही गुणगान करते रहो. साथ ही दूसरी पार्टी की बुराई और उसके नेता पर उंगली उठाने से मत चूकना, बस जीत पक्की समझो.
उन्होंने कहा कि आम आदमी बहुत मासूम होता है और उसकी भावनाएं कोमल. जहां जाओ वहां के लोगों के बारे में पहले से ही फीडबैक ले लो और मिलने पर उन्हीं की भाषा बोलो, उनकी समस्याओं के बारे में बातें करो और उनको आगे बढ़ने का सपना दिखाओ, बस जीत पक्की समझो.
रैलियों में भाग लेने से लेकर मंत्री बनने तक तुम छोटे-बड़े इतने इलाकों में घूम चुके होगे और इतने लोगों से उनकी इतनी समस्याएं सुन चुके होगे कि मंत्री बनने पर कुछ भी याद नहीं रहेगा. और मंत्री बनने के बाद इतने बड़-बड़े काम होते हैं कि गली-मोहल्लों की बातें पूरी करने का वक्त किसके पास है. मोटे-मोटे काम कर दो और उन्हें जताने में पीछे मत रहो. बस सफलता पक्की समझो.
हो सकता है कुछ लोग तुम्हें बेशर्म कहें या मौकापरस्त पर कामयाबी की कुछ तो कीमत चुकानी पड़ती है मेरे यार. उन्होंने कहा कि आखिर नौकरी में भी तो तुम कभी झूठ बोलते हो, अपने काम की तारीफ और दूसरे के काम की बुराई करते हो. इतना ही नहीं तरक्की पाने के लिए बॉस की चाटुकारिता भी करते हो. दिन-रात इसी में गुज़र जाते हैं कि नौकरी बनी रहे, बॉस खुश रहे, प्रोमोशन मिलता रहे और सालाना इन्क्रीमेंट अच्छा हो जाए.
नेता भी यही सब करते हैं. फर्क ये है कि यहां पर इसका फायदा बड़े लेवल पर होता है. रहने को बड़ा बंगला मिलता है, हवाई जहाज़ से देश-विदेश जाते हो, नौकर-चाकर, सेक्रेटरी और आगे-पीछे घूमते लोग. करोड़ों रुपए का बजट हाथ में है और कोई पूछने वाला नहीं कहां खर्च किया और कैसे. किसी का काम करना नहीं है, करने का आदेश दे देना है. काम हो गया तो वाह-वाही आपकी और अगर और नहीं हुआ तो विरोधियों की चाल. ऊपर से तुम्हारा हर काम समाजसेवा कहलाएगा और देशभक्त कहलाने का सम्मान जो मिलेगा वह अलग. यही तो वजह है कि जो लोग राजनीति में एक बार आ जाते हैं वो कहीं और नहीं जाते.  
सत्ता बड़ी चीज़ है भैया, बस हर नेता को थोड़ा चमड़ी मोटी करनी ही पड़ती है. थोड़ी होशियारी से चलो और ज़रूरत से ज़्यादा लालच अगर न रखो तो लंबी पारी पक्की समझो.
नेताजी की बातें मुंगेरीलाल के सपनों से कम नहीं थीं और मैं इन्हें समझ भी रहा था. पर फिर भी मैने तय कर लिया कि अपनी लगी-लगाई नौकरी छोड़ दूंगा और राजनीति के समंदर में कूद जाऊंगा. अगर मोती पाना है तो तालाब में नहीं, सागर में गोता तो लगाना ही होगा.
इतनी देर में घड़ी का अलार्म घनघना उठा. मेरी नींद खुल गई और सपना टूट गया. पलंग पर मैं अकेला पड़ा था और मेरे चारों तरफ थीं कोरी दीवारें. रात के अंधेरे में एक नेता मेरे सपने में थे, पर अब दिन के उजाले में अपने सपनों के नेता को तलाशने की कोशिश कर रहा था.